Buddha Purnima 2023: कब पड़ रही है बुद्ध पूर्णिमा? यहां जानिए स्नान का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि
Buddha Purnima 2023: भगवान बुध के जन्म दिवस के रूप में मनाए जाने वाला बुद्ध पूर्णिमा इस साल 5 मई, 2023 को पड़ रहा है. आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ.
(Source: Pexels)
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Buddha Purnima 2023: भगवान बुध के जन्म दिवस को बुद्ध पूर्णिमा के रुप में मनाए जाने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है. इस साल बुध पूर्णिमा 05 मई, 2023 शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी. बुद्ध पूर्णिमा को “बुद्ध जयन्ती” और “वैसाक” और “वैशाख पूर्णिमा” नामों से भी पुकारा जाता है. कपिलवस्तु के महाराजा शुद्धोदन की धर्मपत्नी महारानी महामाया देवी की कोख से नेपाल की तराई के लुम्बिनी वन में जन्मे सिद्धार्थ ही आगे चलकर बुद्ध कहलाए. बुद्ध के जन्म, बोध और निर्वाण के संदर्भ में भारतीय पंचांग के वैशाख मास की पूर्णिमा की पवित्रता की प्रासंगिकता स्वयंसिद्ध है. बुद्ध पूर्णिमा पर आपको क्या करना चाहिए और किन चीजों का विशेष महत्व होता है इस विषय में विस्तार से बता रहे हैं श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य) गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा.
वैसाखी पूर्णिमा पावनता की त्रयी है. इस पुनीत तिथि को ही बुद्ध का अवतरण हुआ, आत्मज्ञान अर्थात बोध हुआ और महापरिनिर्वाण हुआ. ऐसे में बुधपूर्णिमा के शुभ अवसर पर भूमि, भवन और वाहन की खरीद के साथ ही पदभार ग्रहण करना बहुत ही शुभ माना जाता है. नए काम की शुरुआत के लिए भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है.
वैशाख पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: रात्रि 11:45से ( 04मई 2023)
पूर्णिमा तिथि समाप्त – रात्रि 11:04 बजे तक (,05 मई 2023)
बुद्ध पूर्णिमा पर क्या करें?
- इस तरह करें स्नान और ध्यान
- प्रातः काल स्नान के पूर्व संकल्प लें इसके बाद पहले जल को सिर पर लगाकर प्रणाम करें. फिर स्नान करना आरम्भ करें. स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य दें. साफ वस्त्र या सफेद वस्त्र धारण करें , फिर मंत्र जाप करें.
- इस दिन इन मंत्रों का जाप देता है समृद्धि
- "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः"
- " नमः शिवाय"
- "ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः"
- मंत्र जाप के पश्चात सफ़ेद वस्तुओं और जल का दान करें.
- चाहें तो इस दिन जल और फल ग्रहण करके उपवास रख सकते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा पर इन कामों से बचें
- इस दिन मांसाहार का परहेज होता है क्योंकि बुद्ध पशु हिंसा के विरोधी थे.
- झूठ बोलने एवं धोखा देने से बचें.
- इस दिन किए गए अच्छे कार्यों से पुण्य की प्राप्ति होती है.
- पक्षियों को पिंजरे से मुक्त कर खुले आकाश में छोड़ा जाता है.
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